भारत मे घर बनाना हर वर्ग का एक सपना होता है। और मिडिल क्लास लोगो के एक तरह का कामयाबी भी होता है। घर बनाने से पहले जमीन खरीदी जाती है और उसके बाद होता है भूमि पूजन। अब भूमि पूजन करने का क्या तरीका होता है ? कैसे करते है , यह बहुत से लोगो को पता नहीं होता। और ऐसे में आपको इस Bhumi Pujan ब्लॉग को पूरा पढ़ना चाहिए।
भूमि पूजन (Bhoomi Pujan या Puja) एक पवित्र हिंदू अनुष्ठान है, जिसे किसी भी भूमि पर निर्माण कार्य शुरू करने या कृषि कार्य से पहले किया जाता है।इसका मुख्य उद्देश्य धरती माता (भूमि देवी), वास्तु पुरुष (दिशाओं के देवता) औरअन्य देवी-देवताओं का सम्मान करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना है। यह पूजा भूमि से नकारात्मकता और वास्तु दोष को दूर करने के लिए की जाती है, ताकि परियोजना की सफलता, समृद्धि और सद्भाव सुनिश्चित हो सके। इस अनुष्ठान में पूजा स्थल (अक्सर ईशान कोण या उत्तर-पूर्व कोने) पर मंत्रों का जाप, प्रार्थना और विभिन्न अर्पण (जैसे नारियल, हल्दी, फूल) शामिल होते हैं। यह प्रतीकात्मक रूप से उन सूक्ष्म जीवों और भूमिगत प्राणियों से क्षमा मांगने का भी तरीका है, जिनका निवास स्थान निर्माण के कारण अनजाने में प्रभावित हो सकता है।
Bhumi puja क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
Bhumi Pujan वह पवित्र अनुष्ठान है जो किसी भी निर्माण कार्य से पहले उस भूमि पर किया जाता है।2 हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भूमि को ‘धरती माता’ माना जाता है। खुदाई शुरू करने से पहले हम उनका आशीर्वाद मांगते हैं और अनजाने में पहुँचाई जाने वाली क्षति के लिए क्षमा प्रार्थना करते हैं।
इस पूजा के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- वास्तु पुरुष को प्रसन्न करना: माना जाता है कि प्रत्येक भूमि पर ‘वास्तु पुरुष’ का वास होता है। उनकी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
- नकारात्मक ऊर्जा का विनाश: जमीन के भीतर दबी हुई नकारात्मक ऊर्जा को शांत करने के लिए bhumi poojan अनिवार्य है।
- बाधा रहित निर्माण: निर्माण के दौरान श्रमिकों की सुरक्षा और कार्य के बिना किसी रुकावट के पूरा होने के लिए ईश्वर का आशीर्वाद लिया जाता है।
सही समय का महत्व: Bhumi Pujan Muhurat
हिंदू धर्म में ‘काल’ (समय) का बहुत महत्व है। किसी भी शुभ कार्य को यदि गलत समय पर किया जाए, तो उसके फल विपरीत हो सकते हैं। इसीलिए Bhumi Pujan Muhurat का चयन अत्यंत सावधानी से किया जाता है।
शुभ महीने और तिथियां
- शुभ महीने: वैशाख, श्रावण, मार्गशीर्ष और फाल्गुन मास भूमि पूजन के लिए सबसे उत्तम माने जाते हैं।
- वर्जित महीने: चैत्र, ज्येष्ठ और आषाढ़ के महीनों में आमतौर पर निर्माण कार्य शुरू करने से बचा जाता है।
- शुभ दिन: सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को नींव रखने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
मुहूर्त निकालते समय केवल कैलेंडर ही नहीं, बल्कि गृहस्वामी की राशि और नक्षत्रों की गणना भी की जाती है।
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भूमि पूजन की सम्पूर्ण विधि (Bhoomi poojan Vidhi)

यदि आप अपने घर का निर्माण शुरू करने जा रहे हैं, तो Bhoomi poojan Vidhi को सही तरीके से समझना जरूरी है। यहाँ इस प्रक्रिया के मुख्य चरण दिए गए हैं:
- स्थल की सफाई और शुद्धिकरण
पूजा स्थल को सबसे पहले साफ किया जाता है। उस स्थान पर गंगाजल का छिड़काव करके उसे पवित्र किया जाता है। पूजा स्थल के चारों ओर रंगोली बनाई जाती है।
- गणेश वंदना
किसी भी हिंदू अनुष्ठान की तरह, Bhumi puja की शुरुआत भी भगवान गणेश की पूजा से होती है। उन्हें ‘विघ्नहर्ता’ कहा जाता है, जो निर्माण में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करते हैं।
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- कलश स्थापना
एक तांबे या पीतल के कलश में पानी, सिक्का, सुपारी और आम के पत्ते रखे जाते हैं। इसके ऊपर नारियल रखा जाता है। यह कलश ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है।
- चांदी के नाग-नागिन का महत्व
भूमि पूजन के दौरान नींव में चांदी के नाग और नागिन का जोड़ा दबाया जाता है। इसके पीछे पौराणिक कथा है कि पृथ्वी ‘शेषनाग’ के फन पर टिकी है। नाग देवता की पूजा करके हम उनसे प्रार्थना करते हैं कि वे हमारे घर के आधार को मजबूती प्रदान करें।
वास्तु शास्त्र और पूजा घर (Vastu for Pooja Room)
एक बार नींव रखने के बाद, घर के नक्शे में कमरे की दिशा तय करना अगला बड़ा कदम होता है। घर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा पूजा घर होता है। Vastu for Pooja Room के अनुसार, यदि मंदिर सही दिशा में न हो, तो घर में मानसिक तनाव रह सकता है।
पूजा कक्ष के लिए सर्वोत्तम दिशा
वास्तु के अनुसार, ‘ईशान कोण’ (North-East) पूजा कक्ष के लिए सबसे शुभ है। माना जाता है कि यह दिशा देवताओं का निवास स्थान है और यहाँ से सकारात्मक ऊर्जा का संचार पूरे घर में होता है।
कुछ जरूरी वास्तु टिप्स:
- मूर्तियों की स्थिति: पूजा घर में मूर्तियाँ एक-दूसरे के सामने नहीं होनी चाहिए।
- रंगों का चुनाव: पूजा कक्ष की दीवारों पर हल्का पीला, सफेद या हल्का नीला रंग होना चाहिए।
- भंडारण: मंदिर के ऊपर कभी भी भारी सामान या कबाड़ न रखें।
निर्माण के दौरान ध्यान रखने योग्य अन्य बातें
जब आप bhumi poojan संपन्न कर लेते हैं, तो निर्माण के दौरान भी कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:
- नींव की खुदाई: खुदाई हमेशा उत्तर-पूर्व कोने से शुरू करनी चाहिए और दक्षिण-पश्चिम की तरफ बढ़नी चाहिए।
- निर्माण सामग्री: निर्माण में हमेशा नई ईंटों और लकड़ी का उपयोग करें। पुरानी या खंडित सामग्री वास्तु दोष ( Vastu Dosh) पैदा कर सकती है।
bhumi pujan केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति हमारे सम्मान को दर्शाने का एक तरीका है। सही Bhoomi poojan Vidhi और Bhumi Pujan Muhurat का पालन करके हम अपने आशियाने को खुशियों और सकारात्मकता से भर सकते हैं। इसके साथ ही, घर के नक्शे में Vastu for Pooja Room का ध्यान रखना आपके परिवार की आध्यात्मिक उन्नति के लिए आवश्यक है।
FAQs
प्रश्न 1: क्या किराये के घर में जाने से पहले भी bhumi pujan की जरूरत है?
उत्तर: नहीं, Bhumi Pujan केवल नए निर्माण (construction) की शुरुआत में किया जाता है। किराये के घर में जाने के लिए ‘गृह प्रवेश’ पूजा की जाती है।
प्रश्न 2: भूमि पूजन (bhumi poojan) में मुख्य रूप से किसकी पूजा होती है?
उत्तर: इसमें मुख्य रूप से धरती माता (देवी लक्ष्मी का रूप), गणेश जी और वास्तु पुरुष की पूजा की जाती है।
प्रश्न 3: क्या महिलाएं भूमि पूजन कर सकती हैं?
उत्तर: हाँ, परिवार की महिलाएं मुख्य यजमान के साथ मिलकर पूरी श्रद्धा के साथ Bhumi puja में भाग ले सकती हैं।
प्रश्न 4: Bhumi Pujan Muhurat न मिलने पर क्या करें?
उत्तर: यदि कोई आपात स्थिति हो, तो किसी विद्वान पंडित से सलाह लेकर ‘अबूझ मुहूर्त’ (जैसे अक्षय तृतीया) पर पूजा की जा सकती है, लेकिन सामान्यतः शुभ मुहूर्त का इंतजार करना ही बेहतर है।
प्रश्न 5: Vastu for Pooja Room में उत्तर-पूर्व दिशा ही क्यों चुनी जाती है?
उत्तर: वैज्ञानिक दृष्टि से, उत्तर-पूर्व दिशा से सुबह की सूर्य की किरणें सबसे पहले प्रवेश करती हैं, जो स्वास्थ्य और ऊर्जा के लिए सर्वोत्तम होती हैं।